विदेह नूतन अंक मिथिला कला संगीत
१.
ज्योति सुनीत चौधरी २.
श्वेता झा (सिंगापुर) ३.गुंजन कर्ण 



१.

जन्म तिथि -३० दिसम्बर १९७८; जन्म स्थान -बेल्हवार, मधुबनी ; शिक्षा- स्वामी विवेकानन्द मिडिल स्कूल़ टिस्को साकची गर्ल्स हाई स्कूल़, मिसेज के एम पी एम इन्टर कालेज़, इन्दिरा गान्धी ओपन यूनिवर्सिटी, आइ सी डबल्यू ए आइ (कॉस्ट एकाउण्टेन्सी); निवास स्थान- लन्दन, यू.के.; पिता- श्री शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- श्रीमती सुधा झा, शिवीपट्टी। ज्योतिकेँwww.poetry.comसँ संपादकक चॉयस अवार्ड (अंग्रेजी पद्यक हेतु) भेटल छन्हि। हुनकर अंग्रेजी पद्य किछु दिन धरि www.poetrysoup.com केर मुख्य पृष्ठ पर सेहो रहल अछि। ज्योति मिथिला चित्रकलामे सेहो पारंगत छथि आ हिनकर मिथिला चित्रकलाक प्रदर्शनी ईलिंग आर्ट ग्रुप केर अंतर्गत ईलिंग ब्रॊडवे, लंडनमे प्रदर्शित कएल गेल अछि। कविता संग्रह ’अर्चिस्’ प्रकाशित।

२.


३.गुंजन कर्ण


ऐ रचनापर अपन मंतव्य ggajendra@videha.com पर पठाउ।
विदेह नूतन अंक गद्य-पद्य भारती
१. मोहनदास (दीर्घकथा):लेखक: उदय प्रकाश (मूल हिन्दीसँ मैथिलीमे अनुवाद विनीत उत्पल)
२.छिन्नमस्ता- प्रभा खेतानक हिन्दी उपन्यासक सुशीला झा द्वारा मैथिली अनुवाद
३.

निरालाःदेहविदेह -४
(निराला हिन्दीसँ मैथिलीमे)
छाड़ल कारी कारी बादर
एला नइ वीर जवाहर लाल
केहन केहन नाचए अधसर
नइ एला वीर जवाहर लाल
चमकल बिजुरी फन पसारि के
नइ एला वीर जवाहर लाल
सोझ करू उलटल माथ के
ससरैत फूफू करए माथ पर
नइ एला वीर जवाहर लाल
पूरबा अलगे फूफकारइ छइ
प्रतिक्षण विष बकुटि बरसाबइ
छुपल कोन गुफा मे हम सब
नइ एला वीर जवाहर लाल
मंहगाई के बाढ़ि बढ़ल अछि
सबके संचित निधि लुटल अछि
भुक्खल नॉंगर ठाढ़ लजाबथि
नइ एला वीर जवाहर लाल
कोना बचउँ बिन भाला लाठी
बहल भसल सभ मित्र मंडली
राह देखइ छी ,किछु नइ बुझइ छी
नइ एला वीर जवाहर लाल
बालानां कृते
बालानां कृते
१.
प्रकाश प्रेम २
दमन कुमार झा


१

बौवा करबा की ?
उचझष्मगपजबलब२नmबष्।िअयm
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
नेता बनल बैमान बौवा करबा की ?
जीत पठाओल बौवा जकरा संसदमे
वाएह बनल गद्दार बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
नङ्गरी सुटका बैसल सभासद संसदमे
बनि बडका बुधियार बौवा करबा की ?
कएने छै अगोरिया एखनो पद्देके लेल
बेच अपन ईमान बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
लेस रहल छै जाति धरम आ भाषा भेषक
कोने कोन पसाही बौवा करबा की ?
कना रहल छै जनता के हक्कन
लगा द्वन्द अगराही बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
जरा रहल छै स्वार्थक खातिर
टोल टोल आ गाम बौवा करबा की ?
नै छै धधकैत देशक चिन्ता
छै कुर्सी पर ध्यान बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
रक्तमय धर्तीक चितकार कोनाक सुुुुनत के
मुनि बैसल सब कान बौवा करबा की ?
सिंचल जकरा सोनित भैर भैर
सएह बनल आइ आन बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
बन्दी बना अधिकार जे बैसल
नेता शिर्ष महान बौवा करबा की ?
खोलि कोना स्वतन्त्रता बांटत
बटनाहर सैतान बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
कहि रहल छै बुत्ता छ त ला अधिकार
शासन हमर पुस्तैनि तु करबा की ?
मोछ पिजा उठोने मmण्डा जिद्दक लेल
लरबा लेल ललकारै बौव करबा की ?
लरबा लेल ललकारै बौव करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
२
उचझष्मगपजबलब२नmबष्।िअयm
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
नेता बनल बैमान बौवा करबा की ?
जीत पठाओल बौवा जकरा संसदमे
वाएह बनल गद्दार बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
नङ्गरी सुटका बैसल सभासद संसदमे
बनि बडका बुधियार बौवा करबा की ?
कएने छै अगोरिया एखनो पद्देके लेल
बेच अपन ईमान बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
लेस रहल छै जाति धरम आ भाषा भेषक
कोने कोन पसाही बौवा करबा की ?
कना रहल छै जनता के हक्कन
लगा द्वन्द अगराही बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
जरा रहल छै स्वार्थक खातिर
टोल टोल आ गाम बौवा करबा की ?
नै छै धधकैत देशक चिन्ता
छै कुर्सी पर ध्यान बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
रक्तमय धर्तीक चितकार कोनाक सुुुुनत के
मुनि बैसल सब कान बौवा करबा की ?
सिंचल जकरा सोनित भैर भैर
सएह बनल आइ आन बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
बन्दी बना अधिकार जे बैसल
नेता शिर्ष महान बौवा करबा की ?
खोलि कोना स्वतन्त्रता बांटत
बटनाहर सैतान बौवा करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
कहि रहल छै बुत्ता छ त ला अधिकार
शासन हमर पुस्तैनि तु करबा की ?
मोछ पिजा उठोने मmण्डा जिद्दक लेल
लरबा लेल ललकारै बौव करबा की ?
लरबा लेल ललकारै बौव करबा की ?
देशक हाल बेहाल छै बौवा करबा की ?
२

हीरा - मोती ................................................
अमन आ चमन दुनू मित्र छल .पहलवान छल .दुनू खूब शक्तिशाली छल.मुदा ओ अपन बलक प्रयोग नीक काज करवा मे नहि अपितु चोरी - डकैती करवा मे करैत छल .
एक दिन दुनू चोरि करवाक निमित्ते घर सं बहराएल .अन्हरिया राति छल .हवा जोर जोर सं बहि रहल छल .झिंगुरक झंकार वातावरण कें डराओन बनने छल .ई दुनू दबले पैरे जा रहल छल .जखन किछु दूर गेल तं गप करवाक आवाज सुनाई देलकै .एकरा दुनू कें कान ठाढ़ भेलै.ई दुनू ओन्हरे बिदा भेल .किछु दूर गेल तं आवाज आर स्पष्ट भेलै .दुनू यात्री अपना मे गप क रहल छल .डर नहि हो ,तें जोर जोर सं बाजि रहल छल.पहिल बाजल -- रे भाइ , हमरा लग एहन मूल्यवान हीरा अछि जे मरै काल तक रखने रहब .एहि पर दोसर बाजल -- रे भाइ , हमरा लग एहन मोती अछि जे राजा - महाराजा लग नहि छनि .ओ मोती हरदम हम अपने लग जोगा क रखने रहैत छी .
दुनूक गप सुनि चोर सभ खूब प्रसन्न भेल .गामक सुनसान जगह पर अबिते दुनू कें पाछू सं चक्कू सटा देलकै .अमन जोर सं बाजल -- सावधान ...? दुनू यात्री अवाक. पुनः गरजि क बाजल - तोरा सभ लग जतेक हीरा -मोती छओ निकल .......नहि तं एतहि खतम क देबौ .ओही मे सं एकटा बाजल -हमरा सभ लग किछु नहि अछि.ताहि पर दोसर चोर चमन गरजि उठल--चुप ...एखन हीरा -मोतीक गप करै छलें .......निकल जल्दी .नहि तं जान मारि देबौ .दुनू कलपति बाजल -- हम सभ ओहिना गप करै छलहुं .डर नहि हुअय तें जोर सं बजैत छलहुं .हमरा सभ कें नहि मारू .......हमरा सभ लग किछु नहि अछि . चुप्प ....... चोर जोर सं बाजल .ओमहर दऽ कऽ घोड़सवार जा रहल छल .ओकरा संदेह भेलै .ओ घोड़ा पर सं उतरि हाथ मे लाठी लऽ ओम्हरे बिदा भेल .जाबे-जाबे चोर किछु करय ता घोड़सवार दुनू कें एहन लाठी मारलक जे दुनू अचेत भ गेल आ हाथ सं चक्कू खसि पडलइ .आब तीनू मिलि क दुनू चोर कें पकड़ि लेलक .घोड़सवार दुनू कें बान्हिक घोड़ा संग दोडबैत ल जाय चाहैत छल .मुदा ई दुनू घोड़सवार कें धन्यबाद दैत बाजल --एकरा दुनू कें छोडि दियौ .हम माफ़ केलियै. एकरा हीरा -मोती चाहियइ ने .....दऽ देबइ .घोड़सवार चौकल -अहाँ ई की करैत छी..?अतेक अमूल्य चीज ओकरा दैत छीयै. हं... मुदा एक शर्त पर-- ओ बाजल. ओकरा ई दुनू चीज हरदम संग मे रख पड़तै. दुनू चोर मुड़ी झुलेलक .पहिल बाजल ---हमरा लग सत्य रूपी हीरा अछि .तं दोसर बाजल --हमरा लग प्रेम रूपी मोती अछि .जं हमरालोकनि एकरा दुनू चीज दऽ देबइ तं दुनियाँक सभ काज क सकैत अछि .सुखी आ खुशी सं रहि सकैत अछि .अपन शक्तिक उपयोग नीक काज लेल क सकैत अछि .सत- पथ पर चलि विजय भ सकैत अछि . दुनू चोर ई बात सुनि दुनुक पैर पर खसि पडल ................किछु दिन बाद अमन आ चमन अपन मेहनतक बल पर ,सत्य -अहिंसाक मार्ग पर चलि क ,सुख चैन सं जीवन बितबैत ,गामक प्रतिष्टित लोक मे गनल जाय लगलाह।
बच्चा लोकनि द्वारा स्मरणीय श्लोक
१.प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त्त (सूर्योदयक एक घंटा पहिने) सर्वप्रथम अपन दुनू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई श्लोक बजबाक चाही।
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्॥
करक आगाँ लक्ष्मी बसैत छथि, करक मध्यमे सरस्वती, करक मूलमे ब्रह्मा स्थित छथि। भोरमे ताहि द्वारे करक दर्शन करबाक थीक।
२.संध्या काल दीप लेसबाक काल-
दीपमूले स्थितो ब्रह्मा दीपमध्ये जनार्दनः।
दीपाग्रे शङ्करः प्रोक्त्तः सन्ध्याज्योतिर्नमोऽस्तुते॥
दीपक मूल भागमे ब्रह्मा, दीपक मध्यभागमे जनार्दन (विष्णु) आऽ दीपक अग्र भागमे शङ्कर स्थित छथि। हे संध्याज्योति! अहाँकेँ नमस्कार।
३.सुतबाक काल-
रामं स्कन्दं हनूमन्तं वैनतेयं वृकोदरम्।
शयने यः स्मरेन्नित्यं दुःस्वप्नस्तस्य नश्यति॥
जे सभ दिन सुतबासँ पहिने राम, कुमारस्वामी, हनूमान्, गरुड़ आऽ भीमक स्मरण करैत छथि, हुनकर दुःस्वप्न नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
४. नहेबाक समय-
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरू॥
हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु आऽ कावेरी धार। एहि जलमे अपन सान्निध्य दिअ।
५.उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तत् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥
समुद्रक उत्तरमे आऽ हिमालयक दक्षिणमे भारत अछि आऽ ओतुका सन्तति भारती कहबैत छथि।
६.अहल्या द्रौपदी सीता तारा मण्डोदरी तथा।
पञ्चकं ना स्मरेन्नित्यं महापातकनाशकम्॥
जे सभ दिन अहल्या, द्रौपदी, सीता, तारा आऽ मण्दोदरी, एहि पाँच साध्वी-स्त्रीक स्मरण करैत छथि, हुनकर सभ पाप नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
७.अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरञ्जीविनः॥
अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनूमान्, विभीषण, कृपाचार्य आऽ परशुराम- ई सात टा चिरञ्जीवी कहबैत छथि।
८.साते भवतु सुप्रीता देवी शिखर वासिनी
उग्रेन तपसा लब्धो यया पशुपतिः पतिः।
सिद्धिः साध्ये सतामस्तु प्रसादान्तस्य धूर्जटेः
जाह्नवीफेनलेखेव यन्यूधि शशिनः कला॥
९. बालोऽहं जगदानन्द न मे बाला सरस्वती।
अपूर्णे पंचमे वर्षे वर्णयामि जगत्त्रयम् ॥
१०. दूर्वाक्षत मंत्र(शुक्ल यजुर्वेद अध्याय २२, मंत्र २२)
आ ब्रह्मन्नित्यस्य प्रजापतिर्ॠषिः। लिंभोक्त्ता देवताः। स्वराडुत्कृतिश्छन्दः। षड्जः स्वरः॥
आ ब्रह्म॑न् ब्राह्म॒णो ब्र॑ह्मवर्च॒सी जा॑यता॒मा रा॒ष्ट्रे रा॑ज॒न्यः शुरे॑ऽइषव्यो॒ऽतिव्या॒धी म॑हार॒थो जा॑यतां॒ दोग्ध्रीं धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः सप्तिः॒ पुर॑न्धि॒र्योवा॑ जि॒ष्णू र॑थे॒ष्ठाः स॒भेयो॒ युवास्य यज॑मानस्य वी॒रो जा॒यतां निका॒मे-नि॑कामे नः प॒र्जन्यों वर्षतु॒ फल॑वत्यो न॒ऽओष॑धयः पच्यन्तां योगेक्ष॒मो नः॑ कल्पताम्॥२२॥
मन्त्रार्थाः सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः। शत्रूणां बुद्धिनाशोऽस्तु मित्राणामुदयस्तव।
ॐ दीर्घायुर्भव। ॐ सौभाग्यवती भव।
हे भगवान्। अपन देशमे सुयोग्य आ’ सर्वज्ञ विद्यार्थी उत्पन्न होथि, आ’ शुत्रुकेँ नाश कएनिहार सैनिक उत्पन्न होथि। अपन देशक गाय खूब दूध दय बाली, बरद भार वहन करएमे सक्षम होथि आ’ घोड़ा त्वरित रूपेँ दौगय बला होए। स्त्रीगण नगरक नेतृत्व करबामे सक्षम होथि आ’ युवक सभामे ओजपूर्ण भाषण देबयबला आ’ नेतृत्व देबामे सक्षम होथि। अपन देशमे जखन आवश्यक होय वर्षा होए आ’ औषधिक-बूटी सर्वदा परिपक्व होइत रहए। एवं क्रमे सभ तरहेँ हमरा सभक कल्याण होए। शत्रुक बुद्धिक नाश होए आ’ मित्रक उदय होए॥
मनुष्यकें कोन वस्तुक इच्छा करबाक चाही तकर वर्णन एहि मंत्रमे कएल गेल अछि।
एहिमे वाचकलुप्तोपमालड़्कार अछि।
अन्वय-
ब्रह्म॑न् - विद्या आदि गुणसँ परिपूर्ण ब्रह्म
रा॒ष्ट्रे - देशमे
ब्र॑ह्मवर्च॒सी-ब्रह्म विद्याक तेजसँ युक्त्त
आ जा॑यतां॒- उत्पन्न होए
रा॑ज॒न्यः-राजा
शुरे॑ऽ–बिना डर बला
इषव्यो॒- बाण चलेबामे निपुण
ऽतिव्या॒धी-शत्रुकेँ तारण दय बला
म॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीर
दोग्ध्रीं-कामना(दूध पूर्ण करए बाली)
धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी र्वोढा॑न॒ड्वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-त्वरित
सप्तिः॒-घोड़ा
पुर॑न्धि॒र्योवा॑- पुर॑न्धि॒- व्यवहारकेँ धारण करए बाली र्योवा॑-स्त्री
जि॒ष्णू-शत्रुकेँ जीतए बला
र॑थे॒ष्ठाः-रथ पर स्थिर
स॒भेयो॒-उत्तम सभामे
युवास्य-युवा जेहन
यज॑मानस्य-राजाक राज्यमे
वी॒रो-शत्रुकेँ पराजित करएबला
निका॒मे-नि॑कामे-निश्चययुक्त्त कार्यमे
नः-हमर सभक
प॒र्जन्यों-मेघ
वर्षतु॒-वर्षा होए
फल॑वत्यो-उत्तम फल बला
ओष॑धयः-औषधिः
पच्यन्तां- पाकए
योगेक्ष॒मो-अलभ्य लभ्य करेबाक हेतु कएल गेल योगक रक्षा
नः॑-हमरा सभक हेतु
कल्पताम्-समर्थ होए
ग्रिफिथक अनुवाद- हे ब्रह्मण, हमर राज्यमे ब्राह्मण नीक धार्मिक विद्या बला, राजन्य-वीर,तीरंदाज, दूध दए बाली गाय, दौगय बला जन्तु, उद्यमी नारी होथि। पार्जन्य आवश्यकता पड़ला पर वर्षा देथि, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभ संपत्ति अर्जित/संरक्षित करी।
8.VIDEHA FOR NON RESIDENTS
8.1 to 8.3 MAITHILI LITERATURE IN ENGLISH
8.1.4.NAAGPHANS (IN ENGLISH)- SHEFALIKA VERMA translated by Dr. Rajiv Kumar Verma and Dr. Jaya Verma
1.
Episodes Of The Life - ("Kist-Kist Jeevan" by
Smt. shefalika Varma translated into English by
Smt. Jyoti Jha Chaudhary ) 2.Original Poem in Maithili by
Kalikant Jha "Buch" Translated into English by
Jyoti Jha Chaudhary
१
Episodes Of The Life - ("Kist-Kist Jeevan" by
Smt. shefalika Varma translated into English by
Smt. Jyoti Jha Chaudhary )


Shefalika Verma has written two outstanding books in Maithili; one a book of poems titled “BHAVANJALI”, and the other, a book of short stories titled “YAYAVARI”. Her Maithili Books have been translated into many languages including Hindi, English, Oriya, Gujarati, Dogri and others. She is frequently invited to the India Poetry Recital Festivals as her fans and friends are important people.
Translator:Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 30 1978,Place of Birth- Belhvar (Madhubani District), Education: Swami Vivekananda Middle School, Tisco Sakchi Girls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU, ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice award from www.poetry.comand her poems were featured in front page of www.poetrysoup.com for some period.She learnt Mithila Painting under Ms. Shveta Jha, Basera Institute, Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur (India). Her Mithila Paintings have been displayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway, London."ARCHIS"- COLLECTION OF MAITHILI HAIKUS AND POEMS.
Translator:Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 30 1978,Place of Birth- Belhvar (Madhubani District), Education: Swami Vivekananda Middle School, Tisco Sakchi Girls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU, ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice award from www.poetry.comand her poems were featured in front page of www.poetrysoup.com for some period.She learnt Mithila Painting under Ms. Shveta Jha, Basera Institute, Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur (India). Her Mithila Paintings have been displayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway, London."ARCHIS"- COLLECTION OF MAITHILI HAIKUS AND POEMS.
Episodes Of The Life :
My husband Lallan Kumar Verma, who was also a senior advocate in Patna High Court, he left this world, whatever is the spiritual reason, but the mismanagement of the Indira Gandhi Institute of Cardiology is responsible for that. Nobody can stop the death made by God but can the condition of the emergency department of a hospital be so bad? Is this system correct- rusted equipments, departments lacking life-saving medicines, empty cylinders of oxygen, broken electric shak, are doctors so heartless? To run their private nursing homes the institutes like Cardiology can be neglected so badly? There are only those machines left that turn the present into the past – and nothing else, nothing else, I hate doctors. If doctors start treatment immediately and patients don’t survive at last after their full efforts then we can console ourselves that the doctors tried their best but the God was not in favour. And the papers started turning in front of my eyes- his poems, the letters from Kedarji, Neeraja, Manoranjanji- everything was irritating my eyes like hot chilli, there was no tear in my eyes only the inflammation- inflammation of fire, inflamation of chilli.
Respected Didiji !
Saadar Naman,
We are very distressed to know the sudden death of respected Vermaji. We can only try to understand how deeply hurtful this situation is for you. Thinking about the anguish of the sudden end of the company of a talented and favouring life partner itself fills the heart with stress. This is the peculiarity of this world. This always moves, keeps changing, who was present now they are no more and who are present now will die in future. You know this reality more than I know. Please don’t lose your patience. Your sons, daughters and other kids need your blessings and company. Try to console your heart by seeing the image of Vermaji in the face of your sons. It seems that I can perceive the floating emptiness on your ever smling face from here. May God give you energy and patience to tolerate this agony. With the wish that your surrounding and friends could help you in overcoming the grief of Vermaji’s demise I pray the almighty God to give divine peace to the great soul of Vermaji.
Your Younger Brother(like)
Kedar Nath Sharma
The Department of Sanskrit
24-12-2001
२
Kalikant Jha "Buch" 1934-2009, Birth place- village Karian, District- Samastipur (Karian is birth place of famous Indian Nyaiyyayik philosopher Udayanacharya), Father Late Pt. Rajkishor Jha was first headmaster of village middle school. Mother Late Kala Devi was housewife. After completing Intermediate education started job block office of Govt. of Bihar.published in Mithila Mihir, Mati-pani, Bhakha, and Maithili Akademi magazine.


The Separated Radha
Shyam, It’s bad to have love for other,
So forget me, forget me, oh dear!
If you save the beauty in your heart considering diya
Enlighten it with the thread of affection and oil of love
Your life will be burned to vanish
So forget me, forget me, oh dear!
I am the first star of the evening in the Madhuban
You establish your palace in Dwarika forever
Inexplicable rumours are spread all over
So forget me, forget me, oh dear!
I am an exceptional mate for purely raas
A beloved Gopika of the cogent secrecy
Lost my interest for the bank of the river easily
So forget me, forget me, oh dear!
Dive into your mind and fill up some sea water
Keep the sympathy in the palace of ice
I will be there as a heat sensed inside
So forget me, forget me, oh dear!
_____________________________________________
Tedium
The world is temporary and filled with the mounts of sorrows
The spring of tears is overflowing with roar
How can I save others
I am sinking myself
How will I please others
I am dripping as a coral jasmine (flower)
In the clutter of the God the ocean of this world is contaminated
The spring of tears is overflowing with roar
I am shivering like a deer
Hiding my body with limited cloth (jhankhur)
Watching the ultimate destiny of this world
I am measuring today’s life
How will I cross my life whereas enemies are at each step
The spring of tears is overflowing with roar
In the insensitive world of separation
The hard heart of day is burnt
The night is dressed as a saint
The fire is set under veil
Where are the kahar carrying the body of the lifetime separation to
The spring of tears is overflowing with roar
(special note: this poem is written by the poet in 1990 when poet’s beloved wife passed away expressing grief of separation)
Input: (कोष्ठकमे देवनागरी, मिथिलाक्षर किंवा फोनेटिक-रोमनमे टाइप करू। Input in Devanagari, Mithilakshara or Phonetic-Roman.) Output: (परिणाम देवनागरी, मिथिलाक्षर आ फोनेटिक-रोमन/ रोमनमे। Result in Devanagari, Mithilakshara and Phonetic-Roman/ Roman.)
English to Maithili
Maithili to English
Maithili to English
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पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://www.videha.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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