
५ जुलाई २००४ केँ'भालसरिक गाछ'- मैथिली जालवृत्तसँ प्रारम्भ इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब 'भालसरिक गाछ' जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA
Thursday, December 18, 2008
रेडिमेडक जमाना - मदन कुमार ठाकुर

7 comments:
"विदेह" प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/:-
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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://www.videha.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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'विदेह' २३२ म अंक १५ अगस्त २०१७ (वर्ष १० मास ११६ अंक २३२)
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madanji , jhuma delahu. hatotsahit kenhar sabh te aab muh chorene phiri rahal chhathi, ehina hamar sabhak mon jurbait rahu aa chor sabhake chokait rahu.
ReplyDeletehasya rasak badshah chhathi madan ji
ReplyDeleteबहुत बढियां रेडीमेट जमाना. लाजवाफ़ लिखैत छि आहां.
ReplyDeleteहम पंडितजी सँ कहलियनि पंडितजी हम छंदोगी ब्रह्मण छी, हमरा सभक विवाह कमसँ कम छः सात घंटा मेs समाप्त होइत छैक ! मुदा अहां दुई घंटाबाबु आहां के आब ई नै बुझल अछि जे रेडिमेडक जमाना छैक " बाबु हमर विवाह नै भेल हन ई हमर गर्लफ्रेंड छी !
ReplyDeleteक भीतर सब किछ कोनाक करबा देलियइ
एगो हमर साथी छलथि हुनकर विवाह के मात्र पाँचे महिना भेल छलनि ! ताहिक उपरांत हुनकर घरवाली के एगो बच्चा जनमलनि ! ओही बातसँ आस - पासक जतेक पड़ोसी छलनि सभ केs लगलनि ई कोना केs भs गेल यो एखन त विवाह के मात्र पाँचे महिना भेल हएँ ! हमर साथी बजला ... " आब अपने सभ के ई नै बुझल अछि जे रेडिमेडक जमाना छैक " जे जन्मल धिया पुता आ बसायल घर सब के मिलैत छैक !
ई नै बुझल अछि जे आब रेडिमेडक जमाना छैक " आब इन्टरनेट के 'Shadi.com' पर वर आ कनियाँ रेडिमेड भेटैत छैक !
आपको " अब मालूम नहीं हैं जो अब रेडिमेड का जमाना हैं " जो आप रोड को गन्दा करते हो
आपलोगों को मालूम नहीं हैं की अब रेडिमेड का जमाना हैं " बहुमत किसी को भी मिले मंत्री कोई भी बन सकता हैं ! जैसे मैं जब चारा घोटाला के केस में जेल जाने वाला था तो अपनी पत्नी को मुखमंत्री का कुर्शी पर बैठा कर जेल गया था !
अहां सभ के ई नै बुझल अछि जे आब रेडिमेडक जमाना छैक " आब पाई मशीन सs निकलैत अछि !
बहुत - बहुत धन्यवाद पाठक गन के जे ओ अपन किमती व्क्त हमर रचना में देलैन , हम अपनेक सबक के अभारी छी ------
ReplyDeleteजय मैथिल जय मिथिला
bahut sundar rachana Achhi madan ji ----
ReplyDeletethike kahait chhi madan ji bilkul jamana redimet achhi
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